अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं
और खो दोगे तो एक कहानी हूँ मैं
रोक ना पाए जिसे जहाँ सारा
वो एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं
धडकते युवा दिलो का अंदाज़ हूँ मैं
और जो सदा दबंग रहे वो आवाज़ हूँ मैं
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
मानो या ना मनो ,लाजवाब हूँ मैं
जो,समझ न सके मुझे, उनके लिए “राज ” हूँ मैं
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
यूँ तो मेरे लिए सब एक जैसे है
पर हर एक के लिए ख़ास हूँ मैं
गुस्सा जिसे छू नही सकता वो चट्टान हूँ मैं
अब ज्यादा क्या कहूँ मैंआखिर एक इंसान ही हूँ मैं
--- Yours Ishwar Choudhary 'Prem'
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