Monday, March 9, 2015

             " क्या फायदा "
       उलझनों से भरी है जिन्दगी
      और उलझाने बढ़ने से क्या फायदा
      सारी खुशिया मिट गयी है
     अब है दमन में कई गम
     इन गमो को भुलाने से क्या फायदा
     कांटे चुभ जाए तो कोई गम नहीं
     टूट जाये सहारे तो क्या फायदा
     सारी दुनिया ने ठुकराया है हमको
     सदा ये कहानी सुनाने से क्या फायदा
     बढ़ना चाहा तो बढ़ने ना दिया 
     ठोकर हटाने से क्या फायदा
     दरिया से भी कम है मेरी जिंदगी 
      फिर इसकी रह लगाने से क्या फायदा 
    जिंदगी ही है नफरत से कभी मत जियो
    वक़्त गुजरा तो बताने से क्या फायदा
   जो भी हुयी गलतिया उन्हें भूल जाओ 
   अब बैठकर पछताने से क्या फायदा
   वक़्त के साथ हमेशा आगे बढ़ते रहो
   जो गुजर गया उसे मुड़कर देखने से क्या फायदा  
   मेरी तरह हर पल को जियो
   आने वाल कल का सोचने से क्या फायदा
Ishwar choudhary  'Prem'

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